समसामयिक विषयों पर चर्चा और कौशल निर्माण:

 समसामयिक विषयों पर चर्चा और  कौशल निर्माण:

शिक्षा का स्तर यूँ तो पिछले २० ३० सालों  में बहुत बढ़ा है पर आज भी शिक्षा की उपलब्धता  और कौशल निर्माण में उतनी सफल नहीं है जितनी कि समय की मांग है ।क्लासरूम में  समसामयिक विषयो पर चर्चा का समय कुछ ही शिक्षा संस्थान दे पाते हैं जिसकी बड़ी वजह विषयवस्तु का भूत व्यापक होना है । ऐसे में शिक्षक या तो विषय वस्तु को ही पूरा कर सकते हैं या समसामयिक विषयों पर चर्चा कर या प्रयोगात्मक परिक्षण कर  कौशल निर्माण ही कर सकते हैं।  ऐसे में शिक्षक और  शिक्षा संस्थान करें भी तो क्या ? 

 समसामयिक विषयों पर चर्चा के लिए आजकल शिक्षा संस्थानों में फेस्टिवल ऑफ़ होप,  टेड एक्स , मॉडल यूनाइटेड , ड्रामा , थिएटर क्लब , पब्लिक स्पीकिंग कार्नर, पब्लिक फोरम डिबेट आदि कई ऐसे अवसर दिए जाते हैं तो स्टूडेंट्स को सोचने कि शक्ति और विचारों का खुलापन देते है । गंभीर विषयों पर सोच समझकर जब एक युवा अपनी बात रखता है तो  तो न सिर्फ उसकी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है बल्कि देश दुनियां की दिशा और दशा का भी एक खांचा उसके मन में बन जाता है जिसमे संभवतः कोई न कोई विकासवादी या संरक्षात्मक विचार उसमे मन में जरूर आते हैं।  युवा उत्साह, ऊर्जा और गतिशीलता का झरना है जिसे प्रवाह देना शिक्षा का  मूल मन्त्र होना चाहिए।  

विचारों के सुदृढ़ता में ही  समाधान की पराकाष्ठा है और ये विचारों सुदृढ़ता ही शैक्षिक संस्थानों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए , इन्ही से कौशल निर्माण के नए सोपान जागेंगे और नए कौशल क्षेत्रो का उद्भव होगा।  


Discussion on contemporary issues and skill development: 

The level of education has undoubtedly increased significantly over the past 20-30 years, but it still has not been as successful in terms of availability and skill development as is required by the times. Very few educational institutions are able to provide time for discussions on contemporary issues in the classroom, mainly because the curriculum is vast. In such a scenario, teachers are faced with the choice of either completing the syllabus or engaging in discussions on contemporary topics and conducting experimental assessments for skill development. So, what should teachers and educational institutions do? 

 

To facilitate discussions on contemporary issues, many educational institutions nowadays offer opportunities such as the Festival of Hope, TEDx, Model United Nations, drama, theater clubs, public speaking corners, public forum debates, and more. These platforms provide students with the power of thought and an openness of ideas. When a young person thoughtfully expresses their views on serious issues, not only does their intellectual capacity grow, but they also begin to form a framework in their mind regarding the direction and state of the world. Within this framework, it is likely that some developmental or protective ideas will emerge in their mind.  


Youth is a fountain of enthusiasm, energy, and dynamism, and education's core mantra should be to channel this flow. The strength of thought holds the pinnacle of solutions, and this very strength of thought should be the primary objective of educational institutions. From this will arise new steps for skill development, leading to the emergence of new areas of expertise.

Comments

Popular posts from this blog

कहाँ अपना मेल प्रिये

दगडू नी रेन्दु सदानी

राम