लौटने का मन
अब लौटने का मन करता है मैं शायद दौड़ न सका ख्याईशें तो थी बहुत मैं घर भूला न सका थक गया हूँ रोज की बहसों से मैं हर रिश्ते को ढों न सका कहना तो बहुत था सबसे मैं खुद से कुछ कह न सका तोड़ती रही सीमायें नजर की मैं सामाओं में बन्ध न सका लॉंघां तो सब जा सकता था मैं वो खूँटा भूला न सका कुछ यार थे कुछ रिश्तेदार थे मैं हर अपने को मना न सका बढ़ तो गया था कुछ दूर शायद! मैं छोटा था, माँ को भूला न सका अब लौटने का मन करता है मै शायद दौड़ न सका ...