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Showing posts from September 14, 2025

तो मुश्किल है

गुस्सा होंगें  तो मान भी जायेंगें रूठ जाएंगे  तो लौट भी आयेंगें बिखर गये  तो समेट लिए जायेंगे छूट गये  तो फिर मिल भी जायेंगें टूट गए  तो फिर मुमकिन नहीं  माला के रूद्राक्ष हैं औगण सा रूप है पत्थर सा मन  और मिट्टी सा स्वभाव है हिमालय की नदी  और पहाडों की बयार है बह तो गये हैं  फिर मिल भी जायेंगें टूट गये  तो फिर मुमकिन नही