तो मुश्किल है
गुस्सा होंगें तो मान भी जायेंगें रूठ जाएंगे तो लौट भी आयेंगें बिखर गये तो समेट लिए जायेंगे छूट गये तो फिर मिल भी जायेंगें टूट गए तो फिर मुमकिन नहीं माला के रूद्राक्ष हैं औगण सा रूप है पत्थर सा मन और मिट्टी सा स्वभाव है हिमालय की नदी और पहाडों की बयार है बह तो गये हैं फिर मिल भी जायेंगें टूट गये तो फिर मुमकिन नही