स्वप्न
सुबह ताजगी कर गया बरसों में तेरा एक स्वप्न मन तुझ तक चला गया देहरी पर थे अधखुले नयन झाँका जिस ओर तु पास था खिला मिला गमले का कमल न छूटा न तो अपनाया गया पर पास लगा है ये बन्धन दुनिया रही हो साथ मगर हर वक़्त रहा यूँ तेरा मनन सोचा किसे भी तु पास मिला झलकता रहा तेरा मधुर स्पन्दन