वो चाँद
यूँ ठहरता कुछ भी नहीं मंद पवन और बहती नदी उम्मीदों की साख पर मैंने वो चाँद ठहरते देखा है यूँ साथ चलता कुछ भी नहीं परछाई और सड़क मंजिल की उम्मीदों की राह पर मैंने साथ चाँद को चलते देखा है यूँ कहता कुछ भी नहीं विश्वास या भरोसा मन का उम्मीदों के आसमान पर मैंने वो चाँद चमकते देखा है