दूर कहीं
कुछ ख्वाब अधूरे रखे हैं धागें अभी बधें कब हैं मिन्नतों के ताले खोले कुछ मन्दिर अभी पूजे कब हैं मन के सूनेपन में तु रीत गीत और प्रीत में तु शब्दों की इन पंखुरियो में थाल सजे सपनो में तु एक पहाडी गांव है तु टेढी मेढी सडक है तु दूर कहीं जो सफर चला है उस मंजिल का आगाज है तु