मौन की आवाज़
मौन की मौन को एक आवाज़ है सुन सको जो कभी शब्द सार्थक बने इन अंधेरों में भी रौशनी व्याप्त है फिर मशालें जलना मुश्किल नहीं पीड़ की नीव पर एक पड़ा हौंसला साथ हो तो कभी बात सार्थक लगे हर तरह भीड़ है शोर प्रभूत है शांति से हल निकलना मुश्किल नहीं हर्ष के बीच का एक बड़ा फ़ासला दो कदम हम चलें लक्ष्य सार्थक लगे तेरी मेरी बनी हर दीवारे गिरें शासनों तक पहुँचना मुश्किल नहीं