लाम पर
इस दौड़ में न जाने कब जीवन खत्म हो जाता है उडानें छूती तो हैं आसमा सफर जमीदोज हो जाते हैं उडानें कल्पनाओं की आशाऐं सफलताओं की कलम लिखती तो है बहुत कुछ कहानी खत्म हो जाती है लाम पर हैं कदम सदा सीमाऐं लाँघ जाता हूँ एक जहां है सरहदों के पार फिर सफर खत्म हो जाते हैं