अथाह प्रेम
वो कहता है वो साथ मेरे वो पास मेरे अहसासों में मिले सफर के मोड आखिरी मजिल मेरी तुझ तक है मैं चादर फैलाऊँ जितना ढांप लूँ तन मन जीवन सब दूर रहे या पास रहे तु अपनापन बस तुझ तक है वो कहता है गए ऐसा हो वो साथ में मेरे चल निकले राह बनायीं नयी नहीं जो ख्वाब हमारे तुझतक हैं मैं अथाह प्रेम की सीमा तक रंग दूँ यह जीवन वृतांत सब मिल जाये या खो जाये तु जीवन समर बस तुझ तक है