अहसासों की रात
अहसासों की रात जिन्दा है मन में खुद से खुद की मुलाकात घर कर गयी है मन में समर्पण की सादगी बात कह गयी मन में तुम से हम की पहचान एक कर गयी मन में अधजगी सी अपनी रात सूत्र एक पिरो गयी मन में कहनी थी हर जो बात वो कह कर गयी मन में रंगों से सजी धजी रात आत्मसात करा गयी मन में रचनी थी जो हर एक बात वो शब्दों को बाँध गयी मन में कविता रची कहानी बन गयी क्यारी सी खिला गयी मन में अपना सब कुछ मुझे देकर वो खुद भी समा गयी मुझमें