मिठाई
एक मिठाई बँट गयी कुछ कभी छुपाई गयी खाली होते डिब्बे पर कुछ चासनी सी बच गयी एक भोग में चढ़ाई गयी कुछ लोगों में बाँटी गयी जो अपनों को रखी थी वो शैवाल में बदल गयीं यादों की तरह हैं ये मिठाई कभी मीठी कभी बेस्वाद लगी जो बंटी वो सराही गयी जो बच गयी वो मन में रही