साथ तेरे
जीवन चक्र बदला देह की कुरूपता तक जन्म को फिर मृत्यु तक पाप का सहगामी बनाकर दर्द के उत्थान में रक्त के बहाव में समर्पण की आग में हाँ मैं दोषी हूँ तेरा वक्त के हर पडाव पर साथ की लालसा में खुशी की आस में ठहराव है बस तु मेरा कल्पना के मकाम पर क्षितिज के छौर पर समुन्दर की रेत पर कठिनाई के आकाश पर हाँ मै साथ हूँ तेरे तुझमे खुद को घुल जाने तक