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Showing posts from August 25, 2024

साथ तेरे

जीवन चक्र बदला देह की कुरूपता तक जन्म को फिर मृत्यु तक पाप का सहगामी बनाकर दर्द के उत्थान में रक्त के बहाव में  समर्पण की आग में हाँ मैं दोषी हूँ तेरा  वक्त के हर पडाव पर साथ की लालसा में  खुशी की आस में ठहराव है बस तु मेरा  कल्पना के मकाम पर  क्षितिज के छौर पर समुन्दर की रेत पर   कठिनाई के आकाश पर  हाँ मै साथ हूँ तेरे तुझमे खुद को घुल जाने तक