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Showing posts from March 14, 2021

मनिहार था चला गया

  सपने दे गया वो मनिहार था चला गया  आवाज़ दे न दे वो एक छाप छोड़कर गया  सांसे दे गया वो सोपान था बढ़ा  गया  मंजिल पा सकूँ ना एक राह सा बता गया  आस दे गया वो एक सार था ऊगा गया  मौसम बदल सके ना प्रसून सा खिला गया  संक्षिप्त रहा है जीवन वो सार को बता गया   सातत्य रहे ना रहे वो दरिया था बहा गया