छाप
जब मन उड जाये कह जाये चल भीग भी लूँ तु बूँदें बनकर रिमझिम बरखा या इन्द्रधनुष सा हो जाना आसमां भी दूर रहे और धरती अम्बर मिल जायें मैं मिट्टी की सौंधी खुशबू घुलमिल तुझमें खो जाऊ धूल भरी आँधी थम जाये तरवर मुझको कर जाना लाख लपेटू लेप मै तन पर तु अपनी छाप लगा जाना