सांसो के उत्ताप
धडकती है सांसे जोर से वो बाहों में जकड जब लेता है कोमल बदन की छूबन अहसासों को मदहोश कर जाती है रोंगटे उठते हैं सांसो के वो हल्के से माथा जब चूम लेता है हाथों में हाथ हो विश्वाश का राहें जीत तय कर जाती है खुशबू बिखर जाती है वो जब दूरियां तन की खत्म कर जाता है हजारों चुम्बन होते हैं विश्वासों के रिश्ते खुद व खुद बन जाते हैं कठिन है डगर मुश्किल बडी पर रिश्तों की इबारत खडी कर जाता है देकर हजारो हक मन से मुझे वो सर्वस्व न्यौछावर कर जाता है