दौड़ दौड़
कब तुझसे दूर रहा ख्याबों में कब तू दूर रहा यादों से मृतृष्णा है जीवन की दौड़ दौड़ भरमाता हूँ कब तुझसे पास यथार्त रहा है कब तू पास रहा है मन के जिद है उन संघर्षों की दौड़ दौड़ भिड़ जाता हूँ कब तुझसे कोई नाता है कब तूने मन से माना है शरारतें है अल्हड़ता की दौड़ दौड़ खो जाता हूँ कब तुझसे कोई आशाएं हैं कब मन ख्वाब देखना छोड़ा है सपने हैं सपनो का क्या दौड़ दौड़ मुड़ आता हूँ