संवाद हूँ
मैं विरह की वेदना का एक नया संवाद हूँ पढ न पाये दर्द कोई वो खुशी संवाद हूँ आभास की अवचेतना के शब्द का संवाद हूँ लिख न पाये दर्द कोई उस पीङ का संवाद हूँ त्याग की अवधारणा का अनकहा संवाद हूँ कह न पाये दर्द कोई उस प्रणय का संवाद हूँ अनकहे एक प्रेम का सार सा संवाद हूँ प्रेयसी के समर्पण सा मर्म सा संवाद हूँ जंगलों के शोर सा अनसुना संवाद हूँ नदियों का कलरव हूँ निरिह सा संवाद हूँ तु पढ भी लेना लिख भी लेना मैं बिन कहा संवाद हूँ तेरी तस्वीरों मे खुद को ढूंढता विश्वास का संवाद हूँ रातभर जो खत्म ना हो वो बिन अर्थी संवाद हूँ जग लङूं ये मान्य रिश्ता उस दॄढता का संवाद हूँ