प्राण का पर्याय
लौट आया राह फिर जो है कहीं तुमसे बनी खो दिया है वो हिमालय रौशनी तुझसे बची ये शहर वीरान था गांव है उजड़ा मेरा एक तेरा साथ ही आस में जिन्दा रहा वो चिता जो जल चुकी है आखिरी अरमान थे एक रुपति पौध तू है आखिरी उम्मीद भी एक रिश्ता सो गया है त्याग और अभिमान का एक बस तुझसे बचा अब प्राण का पर्याय है