सर्वेश
वो नदी सा था, बह चला झौंका था, ख़ुशबू बिखेर गया रंग था, बेरंग कर गया खामोश यादों का जीवन दे गया स्नेह का हर अपनापन दे गया सम्मानों का बुर्ज दे गया करीब था बहुत, दूर कर गया तु जाते जाते घावों का जीवन दे गया जीवन के ताने बाने में हर पल रहेगा हिमालय था, तु सदा चमकता रहेगा यादों के कोने का अंकुरित बीज है तु पेड़ बन यादों को छांव देता रहेगा