होगा ये कैसे
वो हाथों के छाले जिम्मेदारियों के पहलू थकी सी आखों में प्रीत दबाये वो सांसें त्याग परिश्रम सब समझा है हमने ये सम्मान घट जाये तो होगा ये कैसे ? वो बातों में ठहराव त्याग परस्पर जीवन भर कठिन रही उन राहों में साथ देती वो बाहें संकल्प सिद्धि कोमलता सब अहसास किया हमने ये स्नेह घट जाये तो होगा ये कैसे ? जीवन की एक जरूरत जो रुक न पाए लम्बा दूर चमकते चंदा सागर मिलती नदियां शांत सरोवर जीवन संग में पाया हमने ये जीवन बिन तेरे तो होगा ये कैसे ?