छोटी मुलाकातें
कभी छोटी मुलाकातें
बड़ी सी छाप रखती हैं
वही जीवन की दो बातें
बड़ी सी सीख रखती हैं
वोही खुशबू जिसे बरसो
किया महसूस सांसों ने
उसी खुशुबू में भीगा हूँ
बिना बरसात बादल के
वोही अंगुली जिसे हरपल
छुवा है सिर्फ अहसासों ने
उसी उंगुली को थामा है
खुली सी इस हथेली पर
वो जिन आँखों में देखा है
अधूरा ख्वाब अपना भी
उन्ही पलकों में देखा है
एक मोती जो अपना भी
वो जो बातें अनकही सी थी
कह देता हूँ अब खुलकर
ये तेरा हौसला ही है
जो अपनी दुनियां बसाता हूँ
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