तू याद आया
कुछ पंख फैलाये है आज उधड़े धागो को पिरोया है भावनाओँ को एक धार दी यूँ तेरा सम्मान याद है आज रास्तो की तलाश में चला हूँ लौटने के कुछ निशाँ दिखे है संवेदनाओं को आवाज़ दी है यूँ तेरा साथ याद आया है आज ये विराम नहीं है जीवन का ये समर्पण की इंतहां भी नहीं उन घड़ियों का लेखा जोखा है यूँ तू याद बहुत आया है आज