नज़र में
जानता हूँ कि तुने भी इन्तज़ार किया होगा तु मानें न मानें कुछ तो असर हुआ होगा मनो के तार हैं हर वक़्त जुड़े न भी तो क्या तु चाहे न चाहे कुछ गुज़रा याद आया होगा बातों के फसाने हैं हर वक़्त चुप भी रहे तो क्या तु देखे न देखे कुछ तो नज़र आया होगा ये स्नेह की खायी है हरवक्त डूबकर कुछ नही होता तु रहे न रहे कुछ तो अपनो सा लगा होगा