मुराद

यूँ तो बिछड़ने वाले 
कम ही मिल पाते हैं 
फिर भी उम्मीदों के पंख
अपनी उड़ान भर ही जाते हैं

यूँ तो गुमशुम की हुई बातें
कोई जान नही पाता
फिर भी जाने कैसे लोग
कानाफूसी शुरु कर जाते हैं

यूँ तो मुरादों के ताले 
अक्सर खुल नही पाते 
फिर भी इसी आस में
कोशिश जारी रह जाती है

यूँ तो दूरियों के इम्तिहान में
गिने चुने ही पास होते  है
फिर भी एकाकी हुऐ जीवन मे
यादों के ठूँठ खड़े रह जाते हैं 


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