भगत सिंह
भगत सिह को मानने वालो गाँधी को अपनाने वालो दिल्ली के दरबारी हो सब कलयुग के अवतारी हो तुम क्या जानो बलिदान भगत सिह गाँधी के मूल्यों में समाहित जीवन की जो धार निरन्तर सीमा पर हर वार निरन्तर तुम वोट गिनों लाशों से सने जात पात और धर्म लडाकर तुम क्या जानो बसुधैव कुटुम्ब तुम पीड देश पहचान क्या पाये