खण्डित
नदी समुन्दर ताज घाट सब भरवा रोटी स्नेह निरन्तर नई स्नेह के आकृतियों में माँ ममता सब देहरी तुझ तक समय ताँकती लम्बी दुपहर छोटी छोटी मुलाकातों पर सुनसान मनों में पडी रही वो पीडा दुविधा खुशियां तुझतक दे आये सब निशां यादों के लम्बित लम्बे झगडे मन के खण्डित हर्षित पुलकित मन की बची हुई सब सांसे तुझ तुक