अंकिता
दो बेटियों का पिता हूँ. ....... दुनिया घूमी और देखी है फिर भी हमेशा लगता है कि मेरे पहाड़ दुनिया की सबसे खूबसूरत , शांत और सुरक्षित जगह है। पर तब के जिस पहाड़ की मैं आज कल्पना करता हूँ क्या वो आज भी वैसे ही खूबसूरत, शांत , सुरक्षित हैं ? 1991 के आरक्षण आंदोलन की शुरुआत के दिनों का एक छोटा सा आंदोलनकारी था और इसका मलाल हमेशा रहा कि 1991 के आरक्षण आंदोलन से पनपे राज्य आंदोलन का कभी हिस्सा नहीं बन पाया क्योंकि पढ़ाई के लिए आगरा यूनिवर्सिटी जाना हो गया। आंदोलन के आखिरी दिनों में जब पौड़ी -श्रीनगर में आंदोलन के उग्र रूप ने करीब करीब तक के सब सरकारी प्रतिष्ठान जला दिए थे , वैसे ही किसी दिन घर जाते समय श्रीनगर में बस में पास बैठी एक लड़की से जब मैंने पूछा था -" भूली- उतना बड़ा आंदोलन और आगजनी होती हुई तो नहीं दिखी जितनी अख़बारों में पढ़ी थी "। बहुत गर्व से उस लड़की ने कहा था " न भाई बहुत बड़ा आंदोलन किया है राज्य के लिए सब जला दिया था --- अब राज्य मिलकर रहेगा " राज्य तो मिला पर अंकिता की हत्या के बाद मुझे बार बार उस लड़की का वो गर्व वाला चेहरा याद आ रहा कि क...