अपनेपन की सरहद
अपनेपन की सरहद होती
तो अच्छा होता
पता तो होता
कि सीमाएं रोकती हैं
तो अच्छा होता
पता तो होता
कि सीमाएं रोकती हैं
स्पर्श का स्नेह कोई धागा होता
तो अच्छा था
पता तो होता
की टूटने से जुड़ सकता है
खिल उठता जो बीज पड़ा है
तो अच्छा होता
पता तो होता
स्नेह कभी भी रुका नहीं है
कह जाता दो बातें तू भी
तो अच्छा होता
पता तो होता
तूने भी कुछ शुरुवात करी है
दो चित्र समेटता तू भी
तो अच्छा होता
पता तो होता
संग तेरे कैसे लगता है
मैं नदी था बह चला
सीमाएं टूटी सरहद भी
बस में कहाँ है
कि तटस्थता सीख लूँ
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