बचपन
आ चल आ संग मेरे तु बचपन में ले जाऊ तुझको गायों संग केलि करूं मैं खेतों की मेढ़ चढ़ाऊँ पोखर का पानी भर दूँ नालों में पनही बहा दूँ चावल की पौध लगा लूँ गेहूँ को फसल मसल दूँ सरसों की भरी पितिका फ्योंली के फूल सजा दूँ ताखे पर 'म्वारी' रख लूँ पानी के जहाज उड़ा दूँ तारों की साइकिल लेलूँ गावों में दुकान खोल लूँ मिर्च क्यारियां पानी डालूं पालक की 'मरास' बोत लूँ कट्घेलों से लकड़ी लेलूँ भरी गागरी पानी भर दूँ चावल कुटुं नाज कूट लूँ बैलों को गेहूँ में घुमा दूँ ककड़ी चोर गांव की खा लूँ बंधी हुई बछिया को खोलूं बान्दर हाँकूँ चिड़ी पकड़ लूँ हर नीड का बैजा बदलूँ चुपके कुछ पत्थर रख दूँ हर दिन उनको बढ़ता पाऊँ माचिस डिबिया भ्रमर बाँध लूँ 'डोकों' को मछली समझ लूँ पैय्याँ के पेड़ों चढ़कर फूलों की साख हिला लूँ सावन के झूलें झू लूँ पराली की रस्सी बना लूँ 'मोल्यों' की मिठाई परोसों कच्चे ही पोलम खा जाऊ फूल बुरांस का रंग बना लूँ मिट्टी थ...