मेरा होने को है
शाम की कुछ बात होगी छुट्टी की एक सुबह भी नाराज़ हो जाता है जल्दी क्यों बात पूरी की नहीं शायद पास आया है बहुत अब इंतजार करता वो मेरा सादगी सजती रही है भेज कुछ तस्वीर भी मनाता सबकुछ रहा है यूँ जताया ही नहीं शायद हो गया मेरी तरह अब इंतजार करता वो मेरा बोलते है भाव सबकुछ प्रसिद्धि चाहता वो मेरी साथ देता संकट सदा यूँ बोलता कुछ भी नहीं शायद मेरा होने को है अब लड़ने लगा जज्बात पर