एेसा हो जाये
यूँ बेरंग होकर भी रंग जो चढ जायें बिना कुछ कहें असर जो हो जायें मलाल जाने का तेरा रहा हरदम काश कुछ एेसा हो कदम फिर सहम जायें यूँ गुमशुम होकर भी तन्हाई कहीं खो जाये सुनसान हैं राहें बहुत फिर भी मन अधीर है ख़ामोशी सुनी मन की शोर कम हो जायें काश कुछ ऐसा हो कि वो हलचल हो जायें