रंगमंच
वे जाने वाले चले गये पर मेले खामोश रहें । एक जीवन जीया है हमने इन खाली रंगमंचों पे सब राहों से दूर रहे और मन सब विरान रहे एक शाम सुहानी देखी है इन खाली से बाग़ानों में लोग यहाँ सब भूल गये और शक्लें सब वो दूर रही एक मुखड़ा देखा है हमनें हर ख़्बावों की तामिलों में