याद आयेगा
कभी अन्जान राहों का बटोही याद आयेगा कहीं ठुकरा दिया कोई वो पत्थर याद आयेगा ज़माने भर में घूमोगे वो मंज़र याद आयेगा कही कोने में सीमटा वो फसाना याद आयेगा कही चुपचाप ढलता सा वो सूरज याद आयेगा कहीं बदला मुडा कोई कदम फिर डगमगायेगा बजार-ओ भर में घूमोगे वो ख़ालीपन सतायेगा कभी सूनसान राहों पर वो दस्तक याद आयेगा कही टूटे मकामों का वो खंडहर याद आयेगा कहीं सूने पड़े मन का बबंडर याद आयेगा थककर हार बैठोगे निगाहों को भरम होगा कभी गुमनाम क़दमों का वो चेहरा याद आयेगा