तुम्हे क्यों याद होगा
तुम्हे क्यों याद होगा वो तेरे दोस्तों के जालें वो मनों के बीच की दूरी वो सूखे दिन की बरसातें वो सर्दी की गरम बातें तुम्हे क्यों याद होगा वो ज़माने में तेरी बातें वो हर दिन की रुसवाईयाँ वो लोगो से नजदीकियां और मुझसे दो गज़ की दूरी तुम्हे क्यों याद होगा वो मेरे घर के कोने में दुबककर बैठी ख़ामोशी वो राहों में बिखरी हुई अनगिनत स्नेह की यादें तुम्हे क्यों याद होगा