चेतन
जो जन्म नही पर साथ दे गया एक अपना अहसास दे गया रिश्तों का एक बन्धन बाधें वो हमको तुमको एक कर गया दिन जो भूले पहर रात के थे अपनी सुधबूध खो बैठें जाते अहसास किया आँखों ने दबा हुआ काजल बह बैठा माँ तेरे तुझमें रूप अनेकों चेतन अचेतन अहसास हजारों जब वो सब मिलकर याद आता है तुझ पर भरोसा बढ जाता है