क्यों मन
वो आखिरी मोड पहाड़ के उसपार
जिससे आगे नज़र नहीं जाती
फिर क्यों देखना चाहता है वहां
क्या कही कुछ खोया है 'मन'
बार -बार ये पदचापों की आवाज़
जब कोई नहीं तो आहट कैसी
क्यों बाहर आते हो बार -बार
क्या कहीं कुछ सुना है 'मन'
किस सन्देश का इंतज़ार है
जो अभी तक आया नहीं
फिर कान क्यों धरे बैठे हो
क्या है जो सुना नहीं 'मन'
बार बार होठों का बड़बड़ाना
फिर बदन की ये अकड़न
किसका इंतज़ार है तुम्हे
क्यों सबकुछ लुटा जाते हो 'मन'
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