कौन हो तुम
कौन हो तुम
शक शुबा शंका हो तुम
स्नेह अमृत नीरजा हो तुम
विश्वास की पोटरी में बंधी
सुदामा की चावल सी हो
या यूँ लिखू कि अनकही
दर्दो की ग़ज़ल हो तुम
कौन हो तुम
हंसी ख़ुशी ऐतबार हो तुम
मुस्कुराती धवल सरिता हो तुम
सम्मान के शिखर पर बैठी
बर्बरीक सी आँखे हो तुम
या यूँ लिखू कि कान्हा की
बांसुरी कि तान हो तुम
कौन हो तुम
संगे साथी मुसाफिर हो तुम
रोती बिलखती भूख हो तुम
गरीबी के घर की रूपसी हो
खाली घरो के सम्मान हो
या यूँ लिखू कि गुमसुम
पड़ी एक लाश हो तुम
कौन हो तुम
भागती दौड़ती अबलता हो तुम
प्यासी उदासी निर्भीकता हो तुम
छोड़कर चली गयी सांस
या 'मन' का विश्वास हो
या यूँ लिखूं कि निसहाय
छोड़ती तक़दीर हो तुम
कौन हो तुम ?
शक शुबा शंका हो तुम
स्नेह अमृत नीरजा हो तुम
विश्वास की पोटरी में बंधी
सुदामा की चावल सी हो
या यूँ लिखू कि अनकही
दर्दो की ग़ज़ल हो तुम
कौन हो तुम
हंसी ख़ुशी ऐतबार हो तुम
मुस्कुराती धवल सरिता हो तुम
सम्मान के शिखर पर बैठी
बर्बरीक सी आँखे हो तुम
या यूँ लिखू कि कान्हा की
बांसुरी कि तान हो तुम
कौन हो तुम
संगे साथी मुसाफिर हो तुम
रोती बिलखती भूख हो तुम
गरीबी के घर की रूपसी हो
खाली घरो के सम्मान हो
या यूँ लिखू कि गुमसुम
पड़ी एक लाश हो तुम
कौन हो तुम
भागती दौड़ती अबलता हो तुम
प्यासी उदासी निर्भीकता हो तुम
छोड़कर चली गयी सांस
या 'मन' का विश्वास हो
या यूँ लिखूं कि निसहाय
छोड़ती तक़दीर हो तुम
कौन हो तुम ?
Comments
Post a Comment