रूहें जताती रही
अनकही सी अधूरी कहानी मेरी
तुमने दुनियां के वृतों को पूरा किया
साथ जो पल गुजारे हैं उस छाँव में
मायनों की नयीं नीव रख सा गया
रतजगी सी वो आँखें बुलाती रही
तुमने अधरों को ढककर भी सब कह दिया
बात जो कर गए उस नयी राह में
अहसासों की जमीं पैर रख सा दिया
कपकपीं सी वो रूहें जताती रही
तुमने रंगों से जीवन को भर सा दिया
हाथ जो दब गया है हथेली तले
खुशबुओं को नया एक जहाँ मिल गया
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