तु सदा
ये अठखेलियाँ भी अच्छी हैं
अजनबी इस वहम की
जो साथ में चला नही
वोही साथ में रहा सदा
ये पहेलियाँ भी अच्छी हैं
अनसुलझे इस सम्बद्ध की
जो कभी अपना था नही
वोही रिश्तों में रहा सदा
ये सिसकियाँ भी अच्छी हैं
अनकहे इस लगाव की
जो कभी आँखों से था नही
वोही आँसुओं मे बहा सदा
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