आलिंगन सिन्दूरी हो
मैं कह बैठा वो कठिन बात
मन गांठ बैठाये बरसों थी
आ आलिंगन सिन्दूरी हो
मैं बांध लूँ तुझसे मन डोर प्रिये
कब जाने जाती साँस लगे
कब बातें भी दुश्वारी हो
एक तुझमें खो लूँ तन मन सब
मैं थाम लूँ तेरा हाथ प्रिये
परिभाषा कब गढ़ पाया हूँ
इस रिश्ते की बुनियादों का
एक जोड़ दूँ रिश्ता प्राणों तक
मैं रंग लूँ तेरे रंग प्रिये
कब चाहा सब सम्पूर्ण लगे
कब चाहा जीत लूँ जग सारा
एक टिस सी मन रखनी है
मैं जी लूँ जीवन नाम तेरे
Comments
Post a Comment