छात्र कल्याण: केवल शब्द नहीं, एक वास्तविक जिम्मेदारी आजकल की शिक्षा व्यवस्था में "छात्र कल्याण" एक प्रमुख विषय बन चुका है। यह प्रयास किया जाता है कि विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, उन पर कोई मानसिक या शारीरिक दबाव न डाला जाए और उन्हें जबरदस्ती किसी चीज़ के लिए विवश न किया जाए। शिक्षा संस्थानों का प्रयास होता है कि विद्यार्थियों के साथ सदैव संवेदनशील, सहायक और सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। छात्र कल्याण का तात्पर्य है विद्यार्थियों का संपूर्ण मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक, शारीरिक और शैक्षणिक स्वास्थ्य । यह इस बात का संकेतक है कि विद्यार्थी विद्यालय में कितने सुरक्षित, समर्थित और प्रेरित अनुभव करते हैं, तथा वे जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना किस प्रकार करते हैं। भावनात्मक कल्याण के अंतर्गत विद्यार्थियों का भावनात्मक रूप से संतुलित, खुश और आत्म-सम्मान से परिपूर्ण होना आवश्यक है। उनमें तनाव, भय या चिंता से निपटने की क्षमता होनी चाहिए और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण विकसित होना चाहिए। सामाजिक कल्याण यह सुनिश्चित करता है कि विद्यार्थियों के सहप...