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तो मुश्किल है

गुस्सा होंगें  तो मान भी जायेंगें रूठ जाएंगे  तो लौट भी आयेंगें बिखर गये  तो समेट लिए जायेंगे छूट गये  तो फिर मिल भी जायेंगें टूट गए  तो फिर मुमकिन नहीं  माला के रूद्राक्ष हैं औगण सा रूप है पत्थर सा मन  और मिट्टी सा स्वभाव है हिमालय की नदी  और पहाडों की बयार है बह तो गये हैं  फिर मिल भी जायेंगें टूट गये  तो फिर मुमकिन नही

आना तुम

कोई वो शाम हो जिसमें तुम्हारे साथ बैठें हों निहारे दूर से हिमला कहें कुछ बात चुपके से बुलाता हूँ पहाडों में कभी सब छोड आना तुम कभी जो आँख भर आये कभी मन कुछ अकेला हो मनों में प्रश्न अनगिन हो बुने मन ख्वाब चुपके से बुलाता हूँ पहाडों में कभी सब छोड आना तुम कभी सबकुछ अधूरा सा कभी सुनसान रातें हो खुद से हो गिला सिकवा या दुनियां के बहानें हो बुलाता हूँ पहाडों में कभी सब छोड आना तुम

प्रीत में

घर की ईट में बच्चों की फीस में मनों की प्रीत में एहसास है जीवन की हर रीत में शिक्षा के आयामों में गीतों के मायनों में  शब्दों के बाणों में सीख है जीवन की हर दौड में किताबों के पन्नों में खेतों के गन्नों में  कुठारों के अन्नों में आस है जीवन की हर सासों में

धराली में बादल फटने से विनाशकारी दृश्य

 धराली में बादल फटने से विनाशकारी दृश्य देखने को मिल रहे हैं उन्हें समझना और उसके प्रति सचेत रहना बहुत जरूरी है । सामान्तया ऐसी घटनाओ में सरकारों को दोष देना सही नहीं है । ये एक प्राकृतिक घटना है है प्रकृति पर किसी का जोर नहीं चलता।  बादल फटना (Cloudburst) एक अत्यंत विनाशकारी प्राकृतिक घटना है, जो विशेष रूप से हमारे जैसे  पर्वतीय क्षेत्रों में देखने को मिलती है। यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें बहुत ही कम समय में अत्यधिक मात्रा में वर्षा होती है, प्रायः 100 मिमी से अधिक बारिश एक घंटे से भी कम समय में सीमित क्षेत्र  में गिरती है। यह तीव्र वर्षण (intense precipitation) बाढ़, भूस्खलन (landslide), नदी-नालों का उफान और व्यापक विनाश का कारण बनता है। यह घटना विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालयी क्षेत्रों में बार-बार घटित होती है और इसके पीछे कई भौगोलिक व जलवायविक कारण होते हैं। पर्वतीय क्षेत्र, विशेष रूप से हिमालय, बादल फटने की घटनाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। इसका मुख्य कारण वहाँ की स्थलाकृति (topography) है। जब गर्म और नमीयुक्त हवाएँ पर्वतीय ढलानों से टकराती ...

जन्मभूमि

म्येरी जन्मभूमि त्येरी जै जैकारा हो गौ गौल्या ग्वठ्यार त्येरी जै जैकारा हो घौर प्वगडा बाँजा त्येरी जै जैकारा हो जै केदार काँठा त्येरी जै जैकारा हो उँची हिवाल्यी डांडी त्येरी जै जैकारा हो नीसी गंगा गड्यार त्येरी जै जैकारा हो थाती की स्कूल त्येरी जै जैकारा हो ननकूडा की धार त्येरी जै जैकारा हो म्येरी जन्मभूमि त्येरी जै जैकारा हो स्कूला का बाटा त्येरी जै जैकारा हो गैल्या कू दगडू त्येरी जै जैकारा हो छूटिग्ये पैथर सब त्येरी जै जैकारा हो

कलम

लिखूँगा क्या खोया  क्या पाया मैने तुझसे मिलने के बाद कुछ कलम घिसी कुछ स्याही छिडकी कुछ दाग लिए अपमान कुछ शब्दों में रची बसी है मेरी एक पहचान कविता लिखती कलम चली है जीवन एक कहानी सी लिखा हिमालय कभी है हमने कभी बहे तट नदी समान कुछ पहचान अधूरी सी है कुछ लिखी कभी फिर मीटी नही चलती रही कलम जीवन की जैसे साथ तुम्हारा हो....

लाम पर

इस दौड़ में न जाने कब जीवन खत्म हो जाता है उडानें छूती तो हैं आसमा सफर जमीदोज हो जाते हैं उडानें कल्पनाओं की आशाऐं सफलताओं की कलम लिखती तो है बहुत कुछ कहानी खत्म हो जाती है लाम पर हैं कदम सदा सीमाऐं लाँघ जाता हूँ एक जहां है सरहदों के पार फिर सफर खत्म हो जाते हैं

जज्बात रिश्तों के

 कहीं तेरे बुलावे हैं  कहीं मंजिल मेरी अपनी  सरासर पाक रिश्ते हैं  खुले  बंधते हैं सांसो में  उनमे क्या रखा है  देखना जज्बात रिश्तों के  कभी मन मार कर अपना  मुझतक दौड़ आना तुम  कुछ एक दोस्त तेरे हैं  कहीं पहचान मेरी है  कतारें हैं जो कामों की   समयों के अभावों में  बातों में रखा क्या है  देखना जज्बात रिश्तों के  कभी सब छोड़ कर आना  हमारे गांव कस्बों में  कुछ एक फर्ज तेरे हैं  अधूरे सपन मेरे हैं  रुके जो काम हैं अपने  मनों के रूठ जाने में  गुस्से में रखा क्या है  देखना जज्बात रिश्तों के  कभी सब त्याग कर आना  मेरी खली सी दुनियाँ में  

कहीं दूर

एक नदी बहती गाँव मेरे एक सफर सूना है मन मेरे पहाडों से लौटकर आवाज आती तो है खनक है कि मन कहीं बसी है मेरे तकता है एक सपना गिनता है दिन कई ढकता है नकाब उजडता है मन कहीं रात के अन्धेरे का एक सूनापन बुलाता है भटकता सा मन कहीं नजर है कि दूर जाती है कहीं मन है कि सहमता है साहस कहीं वो न्यौतों का दौर अब खत्म सा खण्डहर  तो है मन पर जिन्दा भी है अभी

छात्र कल्याण: (Student' Well- being) केवल शब्द नहीं, एक वास्तविक जिम्मेदारी

  छात्र कल्याण: केवल शब्द नहीं, एक वास्तविक जिम्मेदारी आजकल की शिक्षा व्यवस्था में "छात्र कल्याण" एक प्रमुख विषय बन चुका है। यह प्रयास किया जाता है कि विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, उन पर कोई मानसिक या शारीरिक दबाव न डाला जाए और उन्हें जबरदस्ती किसी चीज़ के लिए विवश न किया जाए। शिक्षा संस्थानों का प्रयास होता है कि विद्यार्थियों के साथ सदैव संवेदनशील, सहायक और सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। छात्र कल्याण  का तात्पर्य है विद्यार्थियों का  संपूर्ण मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक, शारीरिक और शैक्षणिक स्वास्थ्य । यह इस बात का संकेतक है कि विद्यार्थी विद्यालय में कितने सुरक्षित, समर्थित और प्रेरित अनुभव करते हैं, तथा वे जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना किस प्रकार करते हैं। भावनात्मक कल्याण  के अंतर्गत विद्यार्थियों का भावनात्मक रूप से संतुलित, खुश और आत्म-सम्मान से परिपूर्ण होना आवश्यक है। उनमें तनाव, भय या चिंता से निपटने की क्षमता होनी चाहिए और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण विकसित होना चाहिए। सामाजिक कल्याण  यह सुनिश्चित करता है कि विद्यार्थियों के सहप...