अधूरा
नाम तेरे लिख दी है कविता
दिन जब भूले बिसरे हैं
कहीं बहा है आँखों पानी
कहीं सीना दर्द से रोया है
कहीं खिले हैं फूल बूरांस तो
कहीं आग पलाश लगाये है
भूल गये स्नेह साथ सब
कहीं आस के पेड लगाये हैं
एक बैठी है माँ उदास सी
एक गध्याशं अधूरा छूटा है
कहानी ढूँढती शीर्षक अपना
जीवन निष्कर्ष तलाशे है
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