कौन था

एक निष्कर्ष जिस पर, 

आजतक नहीं पहुँचा ,

कौन था जो खाईयां बढ़ाता रहा।

तु ही था जो सबसे क़रीब था,

एक रंचना थी सम्मानों की,

कभी तो जताता कि, 

वो क्या था जो जचता न था।

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