कल
मै आज को ख़ुश देखने की ख़ातिर
कल को भूलना सा चाहता हूँ
तु ही है जो कल की ख़ातिर
आज भी जोर-अजमाईश मै है
कभी अकेले मै सोचना ....
ये मुमकिन है कि दोस्त! तेरे पास
आने वाले कल मे
कुछ ख़ाली बीते कल मिलेगें
कड़वाहट लिये मेरी कुछ यादे भी
और मेरे पास तेरे यादों के
कुछ गम्भीर मगर हँसीं कल बचेंगे ........
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