तेरी कमी
तेरी नाराज़गी खलती है दोस्त
उदास सा दिखता है चेहरा तेरा
हँसी तेरे होंठों पर पहले जैसी नहीं
तु पास हो न हो तेरी कमी सी खलती है
ये न भुल तु बह चला है जिनके संग
उन्हें गोते खाना सिखाया था हमने
तुझे मुझसे दूर करके जो हँसते है हरदम
उन्हें हमारी नजदिकियां खलती है।
कभी देखना यादों के उन झरोखों से
किसी रिश्ते मे नहीं थे पर एक डोर मिलेगी
उन दरख़्तों मे एक सम्मान मिलेगा
सुखी यादें ही सही
मॉ की हल्दी वाली एक माला मिलेगी....
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