ख़्याल

दिन भर न जाने, 

क्यों ख़्यालों मे रहता है?

ये रिश्ता है अनजाना, 

क्यों सम्मानों के पार रहता है?

परवाह कहीं हो न हो,

फिर क्यों वो ‘मन’के पास सा रहता है ?

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