तलाश

जीवन के फ़लसफ़े हैं 
कभी धूप है कहीं छांव है 
मिलना बिछड़ना नियत सही
कभी तु नहीं तेरी याद है ....

खट्टी मिठ्ठी यादो के साथी 
जब हो बिछड़ने के कगार पर 
उमड़ते हैं तृण तृण यहाँ 
मनाग्नि की कोमल याद से....

यूँ सफ़र एकाकी ही था
तेरे आने से एक रंगत सी थी 
जा रहा है मुसाफ़िर फिर कहीं
मंज़िलों की लताश मे 

साथ कारवाँ जो चल पड़ा था 
हर शख़्स उसमे अपना लगा
अंकुरित आस वीरान कर गया
जो मनो के सबसे क़रीब था 


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