कभी यूँ हो
कभी तु लिखे मैं बस पढ़ूँ
तु कहे मै सुनता रहूँ
मै मिटाऊँ तु सोचता रहे
कभी यूँ हो
तु बेचैन रहे मै बेख़बर सो जाऊँ
मै जाने को कहूँ तु रोक दे
नाक जो फुलाऊँ तु मनाते रहे
ठिठके न क़दम तो तु टोक दे
कभी यूँ भी हो
मै नज़र फेर लूँ तु बार बार देखने आये
तेरी तरह मेरी कमी हो तुझको
कभी मै भी तेरे अपनो मे गिना जाऊँ
मेरी बराई पर तु लड़ ले सबसे
कभी यूँ भी हो
मेरे दोस्तों मे मै भी तुझे गिराता जाऊ
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