सपने रहने दो

बाँटना था तुझसे बहुत कुछ 
बहुत कुछ था बताता तुझे
पर साँझा करने का डर
और उस पर तेरी ख़ामोशी 
हर कोशिश को कल पर टाल गयी

यक़ीन तुझपे कभी कम न था 
तेरे मेरे लोगों के उद्धरण
तेरी नज़ाकत की चिर परवाह 
उसपर तेरी आभाओं के बदलते रुप 
हर जुटे साहस को थामता गया

अब तेरे जाने का वक़्त यूँ पास आता
सपनों के टूटने का मक़ाम 
और उन्हें साँझा करने मे समय की कमी
उस पर मेरी बदमाशियां 
हर सपने को सपना ही रख गया अहसास मेरा 


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