कुछ बातें
वो जो अप्रकाशित रही रचनाऐं मेरी
वो कविता बस तुम्हारे लिये ही लिखीं
मन की कुछ कथायें मन मे सजोये
क़लम आँसुओं की कभी चली ही नहीं ।
वो गीत जो कभी गुनगुनाये नहीं
मन की आवाज़ बनकर दबे रहें
मौनमयी ही रही वो भाषा हमेशा
वो संगीत स्नेह का कभी बजा ही नहीं ।
वो विश्वास जो कभी बन नहीं पाया
किसी ने तोडा किसी ने कुचल दिया
ग़ैर ही रहे भावनाओं के सम्वाहक
कभी सही बात इधर से उधर पहुँची नहीं
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